Thursday 21 May 2020

राजा भोजपाल का भोपाल.....क्रमशः



पत्थर दिल इन्सान की उपमा जब दी जाती है तो मानव स्वभाव की कठोरता को ज्यादा प्रभावी माना जाता है। ये पत्थर की स्वयंसिद्ध कौशलता ही है , जो उसे साबित नही करनी पड़ती। क्या पत्थर जैसा भी कोई दिल होता है?पत्थर कठोर कैसे हो गया भला? जबकि उस पर हथौड़े की मार करके वो टूट ही जाता है । फिर पत्थर का दिल भावना विहीन कैसे हो सकता है?
  आज विंध्याचल पर्वत की श्रेणियों में बसे भीमबेटका की चट्टानों को देखा। कोई चट्टान आदि मानव की कुशल कलाकृतियों का बयान करती थी और कोई अपने सागर विलीन होने का। वो पहली चट्टान भी बड़ी चीखती थी...उस बचपन की आवाज़ से, जिसका एक नन्हा मासूम हाथ भी उन कलाकृतियों के मध्य अपनी उपस्थिति दर्ज कराता था। समय कितना ही पुराना हो, अपने जैसी भावनाओं से अभिप्रेत कलाकृतियां बड़ी अपनी से लगी और वो मासूम आंखों के आगे चलने लगा। मुझे पत्थरों से बड़ा प्रेम रहा और पत्थरों ने भी मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा। विंध्याचल श्रेणियों के बाद उदयगिरि को देखा । साँची स्तूप व बौद्ध विहार परिमालाओं को देखा। बड़ी व्यवस्थित संरचनाएं मौन थी किन्तु मौन होने पर भी वो इतना कैसे मोह लेती थी?कितने वर्षों से इशारों में बात करती ये पत्थर की संरचनाएं । बस पुरातात्विक सर्वेक्षण के रखरखाव पर निर्भर हो चली। खुद उनका बचा ही कौन? कंक्रीट और आधुनिक जीवन शैली ने तो इन पत्थरों के जीवन को ही लील लिया। साँची स्तूप , जिसके लिए बौद्ध धर्म या अशोक सम्राट के बारे में किताबों की सैकड़ो फेहरिस्त हैं। साँची के चित्र बोलते बोलते थक जाते हों किन्तु मेरी आँखें उन हाथों की कर्जदार हैं जो इतने बरसों बरस के बाद भी उन नक्काशियों के तराशने को प्रतिबिंबित करती हैं। ये लोगों से बोलते पत्थर अकेले सुनसान में जीने को मजबूर से हैं। पत्थरों के दिल भी टूटकर कितना रोते हैं। ये तो पत्थर का दिल ही बता सकता है। पत्थर जैसा दिल हो या पत्थर का दिल....तन्हाई में विलाप तो करता ही होगा । इन पत्थरों से हम इतिहास देखते हैं, ये हमारी आँखे हैं और जीवन आँखों के साथ जीना भी बड़े सौभाग्य की बात है और मैं सचमुच गर्वित हूँ कि मैंने एक बार फिर इतिहास के एक पन्ने को जिया और मेरे जीवन का एक दिन और सफल हो गया...पर मैं उन पत्थरों के दिल को चुप न करा पायी...वो अपने वर्तमान पर रो रहे था और मैं अपने इतिहास को जी रही थी। शुक्र है कि उनके पास अपने दर्द की कराह को सुनाने के लिए सुख दुख के साथी .....गिलहरियाँ , वृक्ष , कलरव करते पक्षी शेष हैं।
             जब मैंने कर्क रेखा को पार किया लगा आसमान छू लिया। यूँ तो धरती पर कई रेखा हैं और यदि मेरे मन की बात कहूँ तो मुझे तो सिनेतारिका 'रेखा' का ही ध्यान आता है। देखने का नज़रिया अलग है सबका   "रेखा के पास कुछ नहीं और रेखा के पास सब कुछ है।" अब लोगों के पास कुछ तो काम होना चाहिए लेकिन ज़मीनी खींची रेखाओं की भी अपनी हक़ीक़त है, कोई रेखा धरती बाँट कर देश का निर्माण कर देती है और कोई न कहते हुए भी धरती के देशों को बाँध देती है ताकि बंटे हुए धरती के टुकड़े अंतरिक्ष मे बिखर न जाएं । ओह...मैंने भी अपनी सीमा रेखा तोड़ डाली कहाँ पहुँच गयी। वापिस धरती पर आती हूँ।
        धरती का एक टुकड़ा भारत और उसके अंदर का एक टुकड़ा मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश के 14 जिलों से ये रेखा गुज़रती है। लगता है कर्क रेखा को मध्य प्रदेश को ज्यादा संभालना पड़ता है। रतलाम से शहडोल तक की रेखा में मैं तो विदिशा की ही बात करूँगी क्योंकि मैंने तो पहली बार यहीं पर इस रेखा का प्रकटीकरण देखा। लगा जैसे पूर्ण ग्लोब पर खींची रेखा को पकड़ लिया हो। रेखा पार करने पर भी मेज़ पर रखा हुआ ग्लोब याद आया। कभी कभी अहसास हमें जोड़ देते हों, ये नियम ,कानून, देश, धर्म , जाति जैसी बड़ी बड़ी परंपराएं और हज़ारों खण्डों में विभक्त हमारा छोटा सा जीवन...पर हम जीवन को छोटा नहीं मानते तभी तो मानवीय जीवन मे भी इतनी बड़ी दीवारें बना दी गयी हैं। हकीक़त तब नज़र आती है जब हम आसमान से धरती को देखते हैं। अपना अस्तित्व कितना बौना नज़र आने लगता है। सोंचिये अगर कल्पना चावला की तरह हम अंतरिक्ष के सफर पर होते तो धरती जैसे कितने टुकड़े दिखते। हज़ारों हज़ार टुकड़ों के बीच एक 'मानव' जीवित होता होगा। दिल चाहता है कि टुकड़ों के इस संसार में मानवीय मूल्यों के टुकड़े न हों। क्या कर्क रेखा से जोड़ने का गुण नही सीखा जा सकता।

क्रमशः......

2 comments:

  1. प्रकृति को इतने खूबसूरती से शब्दों में कोई प्रकृति प्रेमी ही पिरो सकता है। आपकी ये भोपाल सीरीज़ मैं पढ़ रहा हूँ। आप थोड़ा सा समय निकाल कर ब्लॉग की साज सज्जा का काम भी कर लें। मसलन अनुसरक , लोकप्रिय पोस्ट , पिछली पोस्ट , हेडबार आदि। लेकिन तो आपका कमाल है ही। शुभकामनाएं आपको

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  2. सराहना हेतु धन्यवाद...ये कार्य मेरे लिए कठिन सा लग रहा...कृपया इस संबंध में ब्लॉग आधारित पोस्ट / जानकारी साझा करना चाहे।

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